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जातिव्यवस्था एवं कलंक

Updated: Aug 5, 2022

भारत एक विशाल देश है जिसमे हर व्यक्ति की अपनी एक पहचान है जिसे हम आधार कार्ड या फिर पहचान पत्र से आंकलन कर सकते है, भारत को विदेशो में कृषि प्रधान देश माना जाता है, भारत में कन्द मूल फल सबसे ज्यादा किस्मो में पाये जाते है। भारत दूध और घी का सबसे बड़ा उत्पादक देश है इस देश में अनेको महापुरुष पैदा हुए और यह देश युद्ध और पराक्रम की धरती माना जाता है। कथित तोर पर यहां पर भगवान भी जन्म लिए है।

यह कुछ बाते ऐसी है जो आपको गौरवान्वित कर सकती है लेकिन इस देश की सबसे बड़ी समस्या कुछ और ही है जो कि आपको गौरवान्वित करेगी लेकिन अगले ही पल आपको उससे बदबू और घिन आने लगेगी। इसका एक करण है जो कि हर इंसान समझ पाने में असमर्थ है, भारत में इस समस्या के कारण दो आमने सामने रहने वाले पड़ोसी आपस में घुल मिल नही पाते, इस समस्या के कारण लोग आज भी किसी भी तरह से सम्मान नही पा रहे हे, इस समस्या का सामना आपको अब हर रोज करना पड़ता है।


आप बाजार में जाए, स्कूल में जाए या कॉलेज में या फिर भारत का इतिहास लिखने और भारत को नए सिरे तक ले जाने वाली यूनिवर्सिटी में जाए वहा पर भी इसी समस्या का सामना न जाने कितने लोगो को करना पड़ता है, हर साल ज्यादातर अपराध भी इसी समस्या के उपर आधारित होते है, लेकिन भारत में पैदा होने वाले अधिकांश महापुरुष और देव भी इस समस्या से निजात नही दिला पाए। और महापुरुषों में से तो बहुत से लोगों ने इसके उपर कोई बात तक नही की।


जी हाँ… हम यहां पर बात जातिव्यवस्था की कर रहे है, उपर लिखी गई एक लाइन में आपको बताता कि भारत कृषि प्रधान देश है, लेकिन क्या भारत में पैदा हुए मूलनिवासियों जिन्हे आदिवासी कहा जाता है उन सभी के पास अपने जीवन यापन करने के लिए जमीन है? उपर लिखी हुई लाइन में एक लाइन यह भी के की भारत कन्द मूल फलो का सबसे बड़ा स्त्रोत है लेकिन ये उपजाऊ जमीन कितने लोगो के पास है, या यूं कहें कि क्या भारत में हर इंसान के पास अपनी जमीन है जिसके उपर वो खेती कर सके या कृषि प्रधान देश की शान बढ़ा सके…. तो जवाब मिलेगा कि नही।


भारत में हर इंसान के पास जमीन नही है लेकिन उसके पास भारत की सबसे बड़ी समस्या जाति जरूर है, साल भर में लाखो युवा मारे जाते है या आत्महत्या कर लेने को मजबूर है क्योकि उनकी प्रेमिका उनकी जाति के बहार की होती है, हर साल लाखो लोगो को मंदिर, स्कूल या सर्वजनिक स्थान पर अपमानित होना पड़ता है क्योकि वह किसी भिन्न जाति से होता है।


भारत में जातिव्यवस्था एक सीधीदार व्यवस्था है जिसमे एक जाति किसी से ऊँची है तो कीदी से नीची भी इस यही जाति का जनजाल लोगो के अंदर प्रेम और सदभाव नही पनपने देता, हाल ही में राजस्थान में एक लड़के को इसलिए मार दिया गया क्योकि वह अनुसूचित जाति से संबंधित होकर मुछे रखता था, एक लड़की जो कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही होती है और वह अनुसूचित वर्ग से संबंधित है, अपने प्रेमी को शादी के लिए कहती है तो भिन्न जाति से संबंधित लड़के ने उसे पेट्रोल डाल कर जला दिया।


भारत के अंदर जन्मे हुए महापुरुष जिन्होंने जातिव्यवस्था को खत्म करने के लिए आंदोलन चलाए उनमे से गुरु नानक, ज्योतिबा फूले, साहू जी महाराज, पेरियार, डा अम्बेडकर और अन्य महापुरुष रहे उनका कहना था कि अगर जातिव्यवस्था को निष्क्रिय करना है तो युवाओं को आगे आना होगा अंतरजातीय विवाह, अंतरजातीय भोज और मिलमिलाप के साथ उन रूढ़ियों को भी कुचलना होगा जो देश और लोगो के मन में एक जाति के होने का गुमान पाले हुए है।


जातीयगर्व के कारण भी जातिव्यवस्था नही टूट पा रही हे, जाति पर गर्व करना हमे इस प्रकारा देखना चाहिए जैसे ही एक खड़ा हुआ मकान का खंडर, जिसमे हमारा कोई योगदान नही हे बस हमे इस बात पर गर्व हे कि हमने इसे देखा या इसमे पेड़ा हुए, जबकि हमारे पास नए अच्छे मकान भी होने के चांस होने चाहिए। हमे देश और समाज में समानता की भावना को फैलाना चाहिए जिससे लोगो को लगे कि वह किसी से कमत्र नही हे या किसी से किसी भी तरह निम्न नही हे।


इसी ही आशा के साथ यह लेख लिखा गया हे कि भारत में से जातिव्यवस्था का खात्मा हो सके। आप हमारे साथ हमारे चैनल सत्यशोधक भारत के साथ भी जुड़े और हर रोज सामाजिक समस्याओ पर चर्चा करें।


~Ankush Singh (भारतीय)

Editor & Chief सत्यशोधक भारत





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