धीरेंद्र धवल
Jan 12, 20221 min
Updated: Aug 5, 2022
धन्य होते हैं
धार्मिक यात्राओं के यात्री
हमारा समाज
उनसे पूरी सहानुभूति रखता
जगह-जगह होता है उनका स्वागत
उनका पूरा ध्यान रखती है सरकार
उनके ऊपर बरसाए जाते हैं फूल
हज यात्रा के लिए दी जाती है तमाम सहूलियतें
यदि किसी ने देखा हो
रोजगार की तलाश में निकले
नौजवानों का रेला
उनके कंधे पर झोला
उनके प्रति समाज और सरकार की उदासीनता
व्यवसाय में घाटा होने पर
सूदखोरों और बैंकों का आतंक
यकीनन
ऐसे ही दृश्य
पुख्ता जवाब हैं
दोहरे समाज और बेगैरत सरकार का
उस समाज और सरकार का
जहां बेरोजगारी अभिशाप है
और बेरोजगार आंखों के कांटे
जबकि, हमारा समाज और हमारी सरकार
बेरोजगारों से रखे यदि थोड़ी भी सहानुभूति
तो शायद ही कोई जवान फांसी का फंदा चूमे
थोड़ी सहकारिता और थोड़ा सहयोग ही तो चाहिए
थोड़ी हिम्मत, थोड़ा धैर्य ही तो चाहिए
आख़िर इतना तो समझ ही सकते हैं
बेरोजगारी अभिशाप नहीं जीवन संघर्ष है
रोजगार की तलाश में निकले यात्री
उम्मीद की वो किरण हैं
जिनसे तमाम असंभव काम संभव हुए हैं
डॉ. धीरेंद्र प्रताप सिंह
युवा अध्येता एवं रचनाकार
__________
*यूजीसी नेट-जेआरएफ की फेलोशिप प्राप्त
*ICSSR की पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप प्राप्त
*एम.फिल, डी.फिल (पी-एच.डी)
*एनबीटी से तीन अनूदित पुस्तक प्रकाशित
*दो संपादित पुस्तक प्रकाशित
*आकाशवाणी, प्रयागराज से वार्ता प्रसारित
*विश्व हिंदी संस्थान, कनाडा सहित कई संस्थाओं से सम्मानित
*युवा सृजन संवाद मंच का संचालन
*धवल उपनाम से कविता लेखन
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