शिवकुमार शौर्य (संस्कृति विभाग, लखनऊ )

Mar 10, 20223 min

महात्मा गाँधी और गोण्डा जनपद

Updated: Aug 5, 2022

1929 तक सम्पूर्ण देश में राजनीतिक उथल - पुथल मची हुई थी । राष्ट्रीय आन्दोलन तेजी के साथ आगे बढ़ाया जा रहा था। देश के गणमान्य नेता देश के कोने कोने मे जाकर जनजागरण का कार्य सम्पन्न कर रहे थे। इस अवसर पर गोण्डा जिले में अत्यन्त महत्वपूर्ण घटना घटी। घटना महात्मा गाँधी की यात्रा थी। महात्मा गाँधी ने उतरी भारत के सभी प्रमुख नगरो की यात्रा की । मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के प्रमुख स्थानों पर उनके भाषण हुए |अपनी इस यात्रा मे 1929 ई0 मे महात्मा गाँधी जी गोण्डा पधारे। उनके गोण्डा आगमन के बारे में कहा जाता है कि मनकापुर के तत्कालीन महाराजा रघुराज सिंह की गाँधी जी पर अपार श्रद्धा थी। उन्होंने गाँधी जी से मनकापुर आने के लिए प्रार्थना की थी। महात्मा गाँधी की ने उन्हें यह वचन दिया था कि जब भी वह गोण्डा आयेगे। उस समय वह मनकापुर अवश्य आयेगे। सौभाग्य से वह समय भी करीब आ गया, जब 1919 में गाँधी जी ने जनता में जागृति लाने के लिए देश के दौरे का एक विहंगम कार्यक्रम बनाया । परन्तु दुर्भाग्य से उनके इस

कार्यक्रम में गोण्डा सम्मिलित नहीं किया गया। इससे गोण्डा के लोगों को अत्यन्त निराशा हुई । अब महात्मा जी को गोण्डा लाने का प्रयास किया जाने लगा |

इस समय गोण्डा के प्रमुख उत्साही कार्यकर्ता श्री लाल बिहारी टण्डन थे । इनका पण्डित जवाहर लाल नेहरू से अच्छे संबंध थे । अत मनकापुर के राजा ने श्री लाल बिहारी टण्डन को गोण्डा मे गाँधी जी के आगमन के लिए पण्डित जवाहर लाल नेहरू के पास इलाहावाद भेजा। चूंकि पण्डित जवाहर लाल नेहरू गाँधी जी के दौरे के प्रबंधक थे। इसलिए उन्होंने गोण्डा के विरुद्ध गाँधी जी के दौरे के कार्यक्रम को सम्मिलित कर लिया । परन्तु यह निश्चित नहीं किया गया कि गाँधी जी मनकापुर भी आयेगे कि नहीं।

महात्मा गाँधी के इस गोण्डा आगमन के उपलक्ष्य में जनपद के नेताओं ने महात्मा गाँधी को रूपयो का एक थैला उपहार के रूप में देने का निश्चय किया। मनकापुर के राजा साहब महात्मा गाँधी को मनकापुर भी बुलाना चाहते थे। जब उनसे महात्मा गाँधी के लिए दिये जाने वाले थैले के दान के लिये कहा गया तब उन्होंने उत्तर दिया कि वह उस कार्य मे तभी सहयोग देंगे, जब महात्मा गाँधी के इस दौरे के कार्यक्रम में मनकापुर को भी सम्मिलित किया जायेगा | श्री लाल बिहारी टण्डन गाँधी जी से मिलने फैजाबाद गये, परन्तु वहा उनकी भेट गाँधी जी से न हो सकी। महात्मा गाँधी दूसरे ही दिन फैजाबाद से बनारस चले गये। उसी दिन बिहारी टण्डन जी भी बनारस चले गये और वहाँ उन्होंने महात्मा गाँधी से भेट की और उनसे मनकापुर आने के लिए आग्रह किया गया। महात्मा गाँधी जी ने स्वयं हाथ से एक पत्र लिखकर मनकापुर आने की स्वीकृति दे दी।

महात्मा गाँधी ने पूर्वी क्षेत्र का दौरा समाप्त करने के बाद मनकापुर पधारे। उनके आगमन पर राजा साहब श्री रघुराज सिंह ने शाही शान शौकट के साथ महात्मा गाँधी का स्वागत किया। राजा साहब के कोर्ट के अन्दर एक बड़ी सार्वजनिक सभा हुई जो एक अभूतपूर्व घटना कही जा सकती है।

वास्तव में राजा साहब राजनैतिक व्याख्यानो से अपने को बचाना चाहते थे, परन्तु यह कैसे सम्भव था । महात्मा गाँधी और उनका दल जब दौरे पर तब भाषण का न होना असम्भव था ,सा जान पड़ता है। अन्त में टण्डन जी ने सम्पूर्ण जिले का विवरण प्रस्तुत किया। राजा साहब में

स्वागत भाषण देने के पश्चात गाँधी जी से प्रार्थना की कि वे आशीर्वाद के दो शब्द कहे ! गाँधी जी ने अपनी बाते बड़ी संक्षेप में कही। महात्मा गाँधी के भाषण के पश्चात सभा समाप्त हो गई।

इसके पश्चात मनकापुर के राजा साहब महात्मा गाँधी तथा उनके दल के लोगों को लेकर गोण्डा आये। गोण्डा में महात्मा गाँधी के ठहराने का प्रबंध स्थानीय कन्या पाठशाला के भवन में किया गया | गोण्डा जनपद के समझ महात्मा गाँधी के भाषण हुए और जनता ने गाँधी जी को 500 रु0 से अधिक धनराशि के थैले को भेंट किया | इस प्रकार महात्मा गाँधी ने गोण्डा नगर में भारी जनसमूह के समक्ष अपने राजनैतिक दृष्टिकोणों को प्रस्तुत किया|

श्रोत- व्यक्तिगत अभिलेखागार पुस्तकालय लखनऊ

लेखक- शिवकुमार शौर्य (संस्कृति विभाग लखनऊ)


 
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